"जला सो अल्लाह"
का प्राक्कथन-अंश
जलाराम बापा के प्रति अनुयायियों की आस्था और श्रद्धा को समय का चक्र भी प्रभावित नहीं कर सका है. इनके अनुयायी देश ही नहीं वरन पूरी दुनिया में हैं. व्यक्तिगत तौर पर मैं और मेरा परिवार भी जलाराम बापा के प्रति अगाध श्रद्धा और आस्था रखता है. जब भी मुझ पर कोई विपत्ति आयी है, तब जलाराम बापा को श्रद्धापूर्वक याद करने से राहत मिली है. जलाराम बापा की जन्म और कर्म भूमि वीरपुर गाँव में उनके मंदिर में भी मत्था टेकने से आत्मिक संतोष की अनुभूति होती है.
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