शनिवार, 24 दिसंबर 2011

Jalaram bapaa kee jeewan-kathaa ( 27 )

जलाराम बापा के आशीर्वाद से वंश वृद्धि : जलाराम बापा के स्मरण मात्र से आस्थावानों के संकट दूर होने लगे थे. और यदि किसी अनुयायी को उनका साक्षात आशीर्वाद मिल जाता तो उसकी प्रसन्नता की सीमा नहीं रहती थी. उसकी अप्रत्याशित अभिलाषा चमत्कारिक रूप से फलीभूत होती थी. खम्भारिया गाँव के निवासी गागा पटेल भी ऐसे सौभाग्यशाली अनुयायियों में से एक थे. गहरे शोक के आघात के बाद जलाराम बापा के आशीर्वाद मिलने के
पश्चात उन्हें खुशियाँ वापस प्राप्त होने का अहसास हुआ.
हुआ यूं, एक दिन अनुयायी गागा पटेल का एकलौता युवा पुत्र जयराम की तेज बुखार के कारण एकाएक मृत्यु हो गई. पिताश्री गागा पटेल सहित परिजनों के लिए यह बहुत बड़ा सदमा था. गागा पटेल के वंश का चिराग ही बुझ गया. परिवार में प्रचंड शोक का वातावरण सर्जित हो गया. गागा पटेल आर्थिक रूप से संपन्न थे. हर सुख सुविधा उन्हें उपलब्ध थी. बड़ा घर, अच्छी खेती बाडी और बीस गाय-भैंस वैभव को जाहिर करते थे. लेकिन एकलौते युवा पुत्र के निधन से वे स्वयं को असहाय और निर्धन महसूस कर रहे थे. बलिष्ठ और सुन्दर शरीर होने के बावजूद वे पुत्र की मौत के गम से मानसिक तौर पर टूट गए. पुत्र-शोक के कारण उनका सब कामकाज ठप हो गया था. पुत्र के अंतिम संस्कार की सभी विधियां संपन्न हो चुकी थी. अभी भी वे इस गहरे सदमे से उबर नहीं पा रहे थे.
गागा पटेल जलाराम बापा के भक्त थे. वे हमेशा जलाराम बापा के संपर्क में रहते थे. जब भी अवसर मिलता वे जलाराम बापा का आशीर्वाद लेने वीरपुर पहुँच जाते थे. उधर, जलाराम बापा को भी अपने अनुयायी गागा पटेल के पुत्र के देहावसान का दुखद सन्देश कुछ दिनों बाद मिला तो वे सांत्वना देने तत्काल बैलगाड़ी से खम्भारिया गाँव के लिए रवाना हो गए. इनके साथ गागा पटेल के वीरपुर निवासी चार रिश्तेदार भी चल पड़े. जब रात को जलाराम बापा गागा पटेल के घर पहुंचे तब उन्हें देख कर गागा पटेल धारोधार रोने लगे. जलाराम बापा के पैरों में गिर कर वे अपना असहनीय दुःख व्यक्त करने लगे. उन्होंने कहा- "बापा, मेरा सब कुछ लुट गया. मेरा एक का एक जवान बेटा मुझे सदा के लिए छोड़ कर इस संसार से चला गया. मेरे वंश का दीपक बुझ गया. पूरे परिवार के सपने बिखर गए". जलाराम बापा ने उन्हें अपने पास बैठाया और सांत्वना देते हुए समझाया- "गागा भाई, हिम्मत रखो. परिवार का मुखिया ही यदि टूट जाएगा तो बाकी लोगों का ध्यान कौन रखेगा. जो होना था हो गया. यही विधि का विधान है. प्रभु की मर्जी के आगे किसकी चली है. जीवन मृत्यु पर हमारा कोई वश नहीं है. प्रभु के इस कठोर निर्णय के पीछे उनका कोई गूढ़ अभिप्राय अवश्य होगा".गागा पटेल अपने शोक और संवेदनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पा रहे थे. उन्होंने रोते हुए कहा- "बापा, एकलौते बेटे के बिना मेरी पूरी जिन्दगी कैसे कटेगी? वंश कैसे आगे बढेगा?" जलाराम
बापा इस गंभीर सवाल को सुनने के बाद थोड़ी देर के लिए मौन धारण कर लिया. आँखें बंद कर प्रभु का स्मरण करने लगे. मानो अपने प्रभु श्रीराम के साथ कोई विचार विमर्श कर रहे हों.
कुछ देर बाद जलाराम बापा ने आँखें खोली. गागा पटेल से उन्होंने कहा- "गागा भाई, राम धुन प्रारंभ करवाइए, मन हल्का हो जाएगा". जलाराम बापा के आदेश का आदर करते हुए तुरंत भजन बैठक जम गई, आसपास के श्रद्धालु जन भी एकत्रित हो गए. फिर तो देर रात तक राम धुन का दौर चलता रहा. भोर होते ही जलाराम बापा ने वापस वीरपुर लौटने की इच्छा जताई. जब जलाराम बापा जाने लगे तब गागा पटेल उनके पैरों में गिर कर फिर रोने लगे.
जलाराम बापा ने उस समय आशीर्वाद देते हुए केवल इतना ही कहा- "गागा भाई, अब शोक नहीं करना. प्रभु सभी सपने पूर्ण करेंगे".
जलाराम बापा के चले जाने के बाद भी गागा पटेल पुत्र शोक डूबे रहे. जलाराम बापा का यह गूढ़ आश्वासन "प्रभु सभी सपने पूर्ण करेंगे" गागा पटेल को विचलित कर रहा था. इसके मायने उन्हें समझ से परे लग रहे थे. लेकिन दूसरी ओर जलाराम बापा के आशीर्वाद और आश्वासन पर पूरा भरोसा भी था. वंश वृद्धि की चिंता ने रात को उनकी नींद का हरण कर लिया. रात भर वे बिस्तर पर करवटें बदलते, आंसू बहाते रहे. सुबह होते ही गागा पटेल की पत्नी प्रसन्न भाव से उनके खटिये में आकर बैठ गई और पैर दबाने लगी. गागा पटेल ने पत्नी की प्रसन्न मुख मुद्रा देख कर विस्मय से पूछा- "क्या बात है, आज तुम ज्यादा ही खुश नजर आ रही हो?". उसने चहकते हुए जवाब दिया- "जयराम के बापूजी, सचमुच खुश होने वाली बात है. जलाराम बापा का दिया आशीर्वाद फल गया समझिये".गागा पटेल फुर्ती से उठ कर बैठ गए और पूछा- "जलाराम बापा का आशीर्वाद, समझा नहीं, साफ़ साफ़ बताओ क्या कहना चाहती हो".उसने खुलासा करते हुए कहा- "जयराम की पत्नी यानी हमारी बहू गर्भवती है". गागा पटेल यह खुशखबरी सुन कर चौंक गए और कहा- "सचमुच!". वे खटिये से खड़े हो गए और खुशी के मारे नाचने लगे. जलाराम बापा के गूढ़ आश्वासन का अर्थ अब उन्हें समझ में आया. पूजा घर में प्रभु श्रीराम की छवि के सामने जाकर हाथ जोड़ कर उन्होंने कहा- "हे प्रभु, आपने मेरी लाज रख ली, मेरा वंश बचा लिया, खुशियाँ लौटा दीं, आपकी लीला अपरम्पार है". तत्पश्चात जलाराम बापा का स्मरण कर आशीर्वाद के लिए उनका भी आभार जताया.
इस खुशखबरी से गागा पटेल के जीवन में पुनः उत्साह का संचार हो गया. उसका आत्मविश्वास फिर से जागृत हो गया. शरीर में पहले जैसी फुर्ती फिर लौट आई. वंश वृद्धि के सपनों को पंख लग गए.
नौ माह बाद जयराम की पत्नी ने एक सुन्दर शिशु को जन्म दिया. गागा पटेल के घर हर्षोल्लास छा गया, जश्न का वातावरण बन गया. पूरे मोहल्ले में मिठाई बांटी गई. समाज वालों को दावत दी गई. रात को भजन मंडली ने भक्ति रस से सबको आनंदित किया. नवजात शिशु का नाम रखा गया "डायो". जब डायो तीन माह का हुआ तब गागा पटेल परिजनों के साथ उसे लेकर जलाराम बापा के यहाँ वीरपुर गए. जलाराम बापा के यहाँ पहुँचते ही गागा पटेल ने सर्वप्रथम उनके चरण स्पर्श किये फिर शिशु डायो को उनके चरणों में रख कर आशीर्वाद लिया. गागा पटेल ने जलाराम बापा से आभार जताते हुए कहा- "बापा, आपके आशीर्वाद ने मेरा वंश समृद्ध कर दिया है. परिवार में फिर से खुशियाँ आ गई हैं, मेरा पूरा परिवार आपका जीवन भर आभारी रहेगा". जलाराम बापा ने कहा- "गागा भाई, यह भी प्रभु की मर्जी से ही संभव हुआ है. वह एक हाथ से लेता है तो दूसरे हाथ से देता भी है. जीवन का चक्र ऐसे ही चलता है. प्रभु पर सदा विश्वास रखना. प्रसन्नता प्राप्त होती रहेंगी". फिर जलाराम बापा ने सबको प्रेम से भोजन करवाया. गागा पटेल ने सदाव्रत-अन्नदान के लिए भेंट स्वरुप अनाज की बीस बोरियां देकर परिवार समेत विदा हो गए. ( जारी )
                                                                                                                
          

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