मंगलवार, 15 नवंबर 2011

Jalaram bapaa kee jeevan-kathaa (hindi novel on Jalaram Bapa)

( दिनेश ठक्कर "बापा" )
 रोटी में राम देखने वाले और भूखे को अन्न देने वाले सेवायोगी संत जलाराम बापा का जन्म गुजरात के वीरपुर गाँव में संवत १८५६, कार्तिक शुक्ल पक्ष ७, सोमवार, ता. ४-११-१७९९ को हुआ था. भगवान् श्री राम की तरह इनका भी जन्म अभिजीत नक्षत्र में हुआ था. गुजराती लोहाना परिवार में जन्मे जलाराम बापा के पिता का नाम प्रधान ठक्कर और माता का नाम राज बाई था.   
बचपन से ही प्रभु भक्ति :  जलाराम बापा बाल्यकाल से ही प्रभु भक्ति में लगे रहते थे. दरिद्र नारायण का प्रतिबिम्ब बचपन से ही इनमें झलकने लगा था. माता पिता का योगदान इसमे महत्वपूर्ण था. उच्च संस्कार की भूमिका भी महती थी.
सौराष्ट्र(गुजरात) के वीरपुर गाँव में जलाराम बापा के पिता प्रधान ठक्कर की घरेलू सामान की एक छोटी सी दुकान थी. प्रधान ठक्कर दुकान में बैठते थे और उनके छोटे भाई वालजी पास के शहर से सामान खरीद कर लाते थे. घर पहुँच सेवा में भी वे मदद करते थे. वीरपुर गाँव में उस समय धनिकों की संख्या कम थी. गाँव वालों के यहाँ हर अवसर पर वे सहायता करते थे. जलाराम बापा के पिता भले और सेवक व्यापारी के रूप में विख्यात थे. 
जलाराम बापा की माता राज बाई भी दुखियों की सेवक थी. संत महात्माओं के प्रति उनमें बेहद आदर भाव था. घर आये अथिति संत महात्माओं की आवभगत में वे कोई कसर बाकी नहीं रखती थीं. माता के संस्कारों का प्रभाव जलाराम बापा पर होना स्वाभाविक था. जिस दिन जलाराम बापा का जन्म हुआ, उस दिन गाँव आये संत महात्माओं में भी सहज रूप से प्रसन्नता व्याप्त थी. प्रभु के प्रागट्य की अनुभूति उन्हें हो रही थी.संत के रूप में जलाराम बापा के जन्म की भविष्यवाणी त्रिकाल ज्ञानी महात्मा रघुवीर दास ने की थी. राज बाई के पहले पुत्र बोधा जब ५ साल के थे तब एक दिन अपनी मंडली के साथ महात्मा रघुवीर दास उनके घर आये थे. सेवा सत्कार से खुश होकर उन्होंने राज बाई को आशीर्वाद देते हुए कहा था -मैया तुम्हारा पहला पुत्र बोधा तो सामान्य स्थिति में रहेगा, लेकिन दूसरा पुत्र जो जन्म लेगा वह प्रभु का महान भक्त होगा, तुम्हारे कुल का नाम पूरी दुनिया में रोशन करेगा, दुखियों और भूखे का सेवक बनेगा, गुणगान करते हुए लोग भी इसका अनुसरण करेंगे. महात्मा रघुवीर दास की भविष्यवाणी सच साबित हुई. 
जलाराम बापा का जब जन्म हुआ तब कृष्ण जन्म उत्सव जैसा वातावरण बन गया था. लोग शिशु जलाराम के दर्शन कर खुद को धन्य मान रहे थे. माता राज बाई ने रसोईघर सबके लिए खोल दिया था. भोर होते तक भजन कीर्तन जारी रहा. संत भूमि कहे जाने वाले सौराष्ट्र ने जलाराम बापा के रूप में एक महान संत पूरी दुनिया को दिया है. ( जारी......)                                       .          

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

જય જલારામ

રામ નામ મેં લીન હૈ,
દેખત સબ મેં રામ ।
તાકે પદ વંદન કરું
જય જય જલારામ ।।

સુરેશ મગનલાલ સરવૈયા, રાયપુર